भाषाभावार्थ - प्रथम श्राद्धके पहले दिन ( निरा- मिष ) मांस आदि निषिद्ध वस्तु त्यागके उत्तम हविष्यान्नका एकवक्त भोजन करें फिर रात्रि में ब्राह्मणों को न्योता देके श्राद्धके प्रातः काल सफेद धोती, अंगोछा लेके स्नान करे और संध्याआदि नित्यकर्म समाप्ति करके पाकभूमिको गोमय, मिट्टी जलद्वारा शुद्ध करै फिर " तहां नवीन शुद्ध पात्रोंमें शक्तिमुजब अच्छे अन्न नाना तरहके भाई, बांधव, स्त्री आदिके द्वारा करावै अथवा खुद यजमान करै, पश्चात् श्राद्धकरनेकी भूमिपै गोमय जल आदिका लेप लगावै और जलता हुया तृण लेके फेरै, फिर, बारीक साफ बालुका या मिट्टी बिछाके तिल सरसोंका विकिरण करै । और वस्त्र आदिसे वेष्टन करके तहां श्राद्धसामग्री संपूर्ण स्थापन करदेवै । फिर मध्याह्नमें अर्थात् ग्यारह बजे के अनंतर स्नान करके सुपेदवस्त्र पहिरै और श्राद्ध- स्थानमें आके आसन के समीप तिलोंके तेलसे भरा हुआ दीप जलाके ब्राह्मणके द्वारा दीपककी वायु आदिसे रक्षा करे और काग, मुर्गा, कुत्ता, चील, सूअर, मार्जार आदि निषिद्ध जानवरोंको दूर हटा देवै, कारण यह जानवर श्राद्धको नाश करते हैं ॥