कन्यापिता विवाह से पूर्व चन्द्रतारा अनुकूल शुभ दिन में स्नान कर नित्यकर्म कर नऐं वस्त्र पहन लें । एकान्त विष्णुमन्दिर में जाकर अपने आसन में बैठे तथा अपने दाहिने ओर कन्याको बैठाकर दीप प्रज्वलन करें । तदनन्तर स्वस्तिवाचन शान्ति पाठ आदि करके सुमुखश्च आदि गणेशादिस्मरण के अनन्तर संकल्प करें ।
संकल्प - अद्येह मम अमुकगोत्रायाः अमुकराशे: अस्याः कन्याया जन्मसामयिक लग्नाद् अमुकस्थान स्थित अमुकदुष्ट ग्रहसंसूचित वैधव्यादि दोषनिराकरण पूर्वक सौभाग्यप्राति द्वारा भविष्यद्भर्तु: आयु: आरोग्य ऐश्वर्यसुखावाप्तये श्रीपरमेश्वर प्रीतये च कुम्भेन सह कन्योद्वाह कर्माहं करिष्ये तत्पूर्वाङ्गत्वेन कलशस्थापन पुण्याहवाचन नीराजन मातृकापूजन वसोर्धारा निपातन आयुष्य मन्त्रजप आभ्युदयिक नान्दी श्राद्धादीनि करिष्ये, तत्रादौ निर्विघ्नतासिद्धये श्रीभगवतो गणेश्वरस्य पूजनं करिष्ये ।
इति सङ्कल्प कर दीप गणेश कलश का पूजन सम्पूर्ण कर आचार्य का वरण करें सुवर्णनिर्मित वरुणप्रतिमा विष्णुप्रतिमा अग्न्युत्तारणपूर्वक पञ्चामृत से स्नान करायें कलश स्थापन विधि द्वारा स्थापित किए हुए जलपूर्णकलश में स्थापन करें ।
ॐ एतं ते देव सवितर्यज्ञं प्राहुर्बृहस्पतये ब्रह्मणे तेन यज्ञमव तेन यज्ञपतिं तेन मामव ।
मनोजूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टम् यज्ञ समिमं दधातु विश्वे देवास इह मादयन्तामों ३ प्रतिष्ठ ।।
ॐ भूर्भुवः स्वः सुवर्णप्रतिमायां वरुण इहागच्छेह तिष्ठ सुप्रतिष्ठितो वरदो भव ।
इति प्राणप्रतिष्ठा कर पूर्वोक्त प्रकार से विष्णु का भी प्राणप्रतिष्ठा कन्या का मङ्गलस्नान कराकर कंकणबन्धन नूतन चित्रवस्त्र भूषणादि से कन्या को अलंकृत कर कुम्भ के समीप में ले जाकर पूजन का संकल्प करें
ॐ अद्येह अमुकगोत्राया अमुकनाम धेयायाः अस्याः कन्याया जन्मसामयिक लग्नाद् अमुकस्थान स्थित अमुकग्रहै: संसूचित वैधव्यदोष निराकरणपूर्वक सौभाग्यसमृद्धिद्वारा भविष्यद्भर्तुरायुरारोग्यैश्वर्याभि वृद्धिकामनया श्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थं च कलशे सुवर्णप्रतिमयोः श्रीविष्णुवरुणयोः पूजनं करिष्ये।
ऐसा संकल्प कर
ॐ तत्त्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभिः । अहेडमानो वरुणेह वोध्युरुषधं समान आयुः प्रमोषीः ।।
ॐ विष्णोरराटमसि विष्णोश्नप्वेस्थो विष्णोः स्यूरसि विष्णोर्ध्रुवोऽसि वैष्णवमसि विष्णवे त्वा ।। उपरोक्त मन्त्र पढकर पाद्यादीनि समर्पयामि वरुणाय नमः ।।
विष्णवे नमः इति यथोपचार से वरुण और विष्णु का पूजन पूर्वक पुष्पाञ्जलि लेकर प्रार्थना करें –
वरुणाङ्गस्वरूपस्त्वं जीवनानां समाश्रय ।
पतिं जीवय कन्यायाश्चिरं पुत्रान् सुखं कुरु।
देहि विष्णो वरं देव कन्यां पालय दुःखतः।
पतिं जीवय कन्यायाश्चिरं देहि तथा सुखं ।।
इति प्रार्थना कर मधुपर्क से र्पण वस्त्रालङ्कारादी समर्पण करके कन्या और कुम्भ के बीच में पट (पर्दा) को पसार कर कन्या के वस्त्रपरिधान के बाद पट को निकालकर के विवाह उपयोगी मङ्गलपद्यपाठ कराकर कन्यापिता कन्यादान का सङ्कल्प करे ।
ॐ विष्णुः ३ इत्यादि अद्येह अमुकोऽहम् अमुकराशे: अमुकनामधेयाया ममास्याः कन्यायाः जन्मसामयिक लग्नाद् अमुकस्थान स्थितामुक दुष्ट ग्रहसंसूचित वैधव्यदोष परिहारपूर्वक सौभाग्य सिद्धिद्वारा अस्या भविष्यद्भर्तु: आयुरारोग्यैश्वर्य्य वृद्धिकामः अमुकगोत्रां अमुकप्रवरां अमुकनाम्नी श्रीरूपिणीं वरार्थिनीं इमां कन्यां श्रीविष्णु वरुण स्वरूपिणे कुम्भाय तुभ्यमहं संप्रददे।
ॐ तत्सत् इति कन्यादान प्रतिष्ठा संकल्प -
अद्य वैधव्यदोषनिवृत्तये कृतैतत् कुम्भ विवाहकर्मणि कन्यादानप्रतिष्ठार्थं इमां दक्षिणां श्रीविष्णुवरुण स्वरूपिणे कुम्भाय तुभ्यमहं संप्रददे इति समर्पयेत् ।
इसके बाद अञ्चलग्रन्थि बन्धनादि विवाहविधि अनुसार करने के बाद 'परित्वा' आदि अर्कविवाह में स्थित दश मन्त्र से नीचे से उपर की ओर मन्त्र की आवृत्ति पूर्वक कन्या और कुम्भ को दश सूत्र (धागे) से लपेट दें। कुछ समय के वाद लपेटे हुए सूत्र से कुम्भ को निकाल कर जलाशय में विसर्जन करें।
ततः पञ्चपल्लव जल से कन्या को अभिषेचन करने के बाद विष्णुवरुणप्रतिमा को और वैवाहित वस्त्रादि आचार्य को दें । तत्र संकल्पः -
अद्येह अमुकगोत्रा अमुकराशि: अमुकनामधेयाहं मम जन्मसामयिकलग्नाद् अमुकस्थान स्थित अमुकदुष्टग्रह संसूचित वैधव्य दोष परिहारद्वारा सौभाग्यफल प्राप्तिपूर्वक भविष्यनत् मद् भर्तृशरीर आरोग्य आयुर्वृद्धिकामा इमे सुपूजिते विष्णुवरुणप्रतिमे इमानि वैवाहिक वस्त्रादीनि च अमुकगोत्राया अमुकर्मणे ब्राह्मणाय तुभ्यमहं सम्प्रददे ॐ तत्सत् इति संकल्प्य दद्यात् । ॐ स्वस्तीति प्रतिवचनं ।
दानप्रतिष्ठां का संकल्प ।
ॐ अद्य कृतैतत्सुपूजित श्रीविष्णु वरुण प्रतिमादान प्रतिष्ठार्थं इमां दक्षिणां अमुकगोत्राय अमुकशर्मणे ब्राह्मणाय तुभ्यमहं सम्प्रददे इति दद्यात् ।
ततोऽभिषेक, तिलक, ब्राह्मण से आशीर्वाद ग्रहण करें । सम्प्रदाय अनुसार अन्य ब्राह्मणों को भूयसी दक्षिणादान यथाशक्ति ब्राह्मणभोजनादि करम करें । अब कन्या का वर के साथ विवाह करें ।
इति कुम्भविवाहविधिः ।