मोहिनी एकादशी 2025: तिथि, व्रत विधि, कथा, महात्म्य, पूजन विधान Upayogi Books
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मोहिनी एकादशी 2025: तिथि, व्रत विधि, कथा, महात्म्य, पूजन विधान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण सहित संपूर्ण जानकारी
May 07, 2025 14:20
भूमिका:
मोहिनी एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी व्रतों में से एक है, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार को समर्पित है। इस दिन उपवास, पूजा, कथा श्रवण और रात्रि जागरण करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मोहिनी एकादशी 2025 तिथि और समय:
- तिथि: गुरुवार, 8 मई 2025
- एकादशी आरंभ: 07 मई 2025 को शाम 06:39 बजे से
- एकादशी समाप्त: 08 मई 2025 को शाम 08:48 बजे तक
- पारण का समय: 09 मई 2025 को प्रातः 05:45 से 08:10 तक
मोहिनी एकादशी का पौराणिक महत्व:
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत को लेकर विवाद हुआ, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत असुरों से छीनकर देवताओं को पिला दिया। इस लीला के कारण यह एकादशी मोहिनी एकादशी कहलाती है।
यह व्रत मोह भ्रम, पाप और दुःखों से मुक्ति दिलाने वाला है। विष्णु पुराण और पद्म पुराण में इसके व्रत की महिमा का विस्तार से वर्णन है।
मोहिनी एकादशी व्रत कथा (विस्तृत):
प्राचीन समय में भद्रावती नामक नगरी में द्युतिमान नामक राजा राज्य करता था। वहां एक वैश्य धनपाल रहता था जिसके पाँच पुत्र थे। उसका बड़ा पुत्र धन की अपव्ययता, जुआ और कुसंगति में लिप्त था। उसका जीवन अपराधों से भर चुका था। एक दिन वह वन में भटकता हुआ महर्षि कौण्डिन्य के आश्रम पहुंचा।
महर्षि ने उसकी स्थिति को जानकर उसे मोहिनी एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। उसने विधिपूर्वक व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की। इससे उसका जीवन परिवर्तित हुआ और अंत में वह मोक्ष को प्राप्त हुआ।
एकादशी व्रतकथा पिडीएप: Download Now
पूजा विधि (Step-by-Step):
- प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- घर में या मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
- पीले वस्त्र अर्पित करें, चंदन, अक्षत, फूल, धूप-दीप से पूजा करें।
- तुलसी दल अर्पित करना अनिवार्य है।
- मोहिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें या श्रवण करें।
- दिन भर व्रत रखें - केवल फलाहार करें या निर्जल उपवास करें।
- रात्रि में भगवान विष्णु का नाम संकीर्तन और भजन करें।
- द्वादशी को ब्राह्मण भोजन, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।
व्रत के नियम:
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- क्रोध, झूठ, निंदा, बुराई से दूर रहें।
- अन्न, लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा का त्याग करें।
- कांसे के बर्तन का उपयोग न करें।
व्रत का फल और महात्म्य:
- सभी पापों का नाश होता है।
- संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों को संतान सुख प्राप्त होता है।
- यह व्रत जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त करता है।
- श्रीहरि की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मोहिनी एकादशी का वैज्ञानिक पक्ष:
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एकादशी व्रत शरीर में विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होता है। उपवास से पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है और मानसिक रूप से भी व्यक्ति स्थिरता अनुभव करता है।
दान-पुण्य का महत्व:
- इस दिन अन्न, जल, वस्त्र, छाता, जूते, पंखा, शरबत आदि का दान अत्यंत पुण्यदायी होता है।
- गाय, ब्राह्मण, गरीबों और मंदिरों में दान करें।
यह लेख आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उपयोगी रहेगा।