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बृहत्संहिता - Brihat Samhita वराह मिहिर PDF

बृहत्संहिता - Brihat Samhita वराह मिहिर PDF Upayogi Books

by Dr. Surakanta jhaa
(0 Reviews) September 28, 2023
Guru parampara

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September 28, 2023
Writer/Publiser
Dr. Surakanta jhaa
Categories
Astrology
Language
Hindi Sanskrit
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More About बृहत्संहिता - Brihat Samhita वराह मिहिर PDF Free PDF Download

प्रस्तुत ग्रन्थ 'बृहत्संहिता' 'माया' नामक हिन्दी व्याख्या के सहित अपने नवजात कलेवर के साथ ज्यौतिषशास्त्रीय प्रायश: सम्पूर्ण विषयों और फलादेशकारक सामग्रियों को लेकर आपकी सेवा में आपके सम्मुख उपस्थित है।

बृहत्संहिता - Brihat Samhita वराह मिहिर PDF

हमें प्रसन्नता है कि भारतीय त्रिस्कन्धात्मक ज्यौतिषशास्त्र के पौरुष ग्रन्थों के आचार्यों में प्रथम आचार्य 'वराहमिहिर' विरचित 'बृहत्संहिता', जो आज से लगभग १५०० वर्ष पूर्व रचा गया था, अपने नव कलेवर के साथ आपकी सेवा में प्रस्तुत है। यह ग्रन्थ अपने आदिकाल से ही ज्यौतिषशास्त्र के अनुरागिजनों का सदा प्रेम-प्यार प्राप्त करता रहा है। इस ग्रन्थ की यह विशेषता ही है। इसके सम्पूर्ण स्वरूप दर्शन से यह भी समझ आता है कि इस एक ही ग्रन्थ में ज्यौतिषशास्त्र के तीनों स्कन्धों अर्थात् सिद्धान्त, संहिता और होरा का समावेश-सा कर दिया गया है। ऐसे इसमें तात्कालिक ग्रहचारवश सुभिक्ष, दुर्भिक्ष आदि के कारणों का सम्यक् प्रतिपादन तो हुआ ही है, सार्वभौम शुभाशुभ फलों को प्रस्तुत करने में पूर्णतया सक्षम ग्रन्थ भी है, साथ ही स्वर, मुहूर्त, शकुन, पुरुष, स्त्री, गज, तुरग, रत्न, प्रतिमा, वास्तु, प्रासाद के लक्षणों आदि अनेक विषयों का प्रतिपादक ग्रन्थ भी है। कालभेदत्रयीगत तथा इह लौकिक और पारलौकिक समस्त समस्याओं से निजात दिलाने वाला और मुक्तिमार्ग प्रदर्शक ग्रन्थ है। अतः इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि यह ग्रन्थ अपने अनुरागिजनों के लिए आगे भी उतना ही उपादेयी रहेगा, जितना यह अपने आदि काल से अब तक रहा है।

प्रस्तुत ग्रन्थ 'बृहत्संहिता' 'माया' नामक हिन्दी व्याख्या के सहित अपने नवजात कलेवर के साथ ज्यौतिषशास्त्रीय प्रायश: सम्पूर्ण विषयों और फलादेशकारक सामग्रियों को लेकर आपकी सेवा में आपके सम्मुख उपस्थित है। इस ग्रन्थ को ज्यौतिष के व्यावहारिक व अनिवार्य विषयों के संक्षिप्त ज्ञानकोश के रूप में ही देखा जाना चाहिए। ज्यौतिष शास्त्र का आद्यन्त परिचयात्मक और ओजपूर्ण गम्भीर विषयों के साथ संसार के प्रायशः विषयों का ज्ञान तथा उपयोगी महत्त्वपूर्ण सामग्री को प्रस्तुत ग्रन्थ में सरल व सहज विवेचन के साथ प्रस्तुत किया गया है। इस ग्रन्थ को मुख्यतः विषय- वार क्रम से दो भागों और १०७ अध्यायों में विभाजित किया गया है। जिनके अध्यायों का क्रम इस प्रकार है-

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