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चमत्कार चिन्तामणी - Chamatkar Chintamani Braj Bihari Lal Sharma

चमत्कार चिन्तामणी - Chamatkar Chintamani Braj Bihari Lal Sharma Upayogi Books

by Bihari Lal Sharma
(0 Reviews) November 28, 2023
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November 28, 2023
Writer/Publiser
Bihari Lal Sharma
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Astrology
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Hindi Sanskrit
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चमत्कार चिन्तामणि

चमत्कार-चिन्तामणि का तुलनात्मक स्वाध्याय

सूर्य-विचार :-

सूर्य के पर्यायनाम: रवि, सूर्य, हेली, भानुमान्, दीप्तरश्मि, दिकर्तन, भास्कर, इन, अहस्कर, तपन, पूषा, अरुण, अर्क, अद्रि, बनजवनपति, दिनमणि, नलिनीविलासी, पद्मिनीश, पद्मिनीप्राणनाथ, दिवाकर, मार्तण्ड, उष्णरक्ष्मि, उण्णांशु, प्रभाकर, विभावसु, तीण्णांशु, तीक्ष्णरध्मि, नग, नमेश्वर, ध्यांतध्वंसी, चंडभानु, चंडदीक्षिति, चित्ररथ ।

सूर्य का सामान्य विशेषवर्णन-स्वरूप वर्णन :

"मधुपिंगलदृक् चतुरस्रतनुः पित्तप्रकृतिः सविताऽल्पकचः ।” "शूरः स्तब्धः विकलतनयनः निघृणः अर्कै तनुस्थे ॥" "कालात्मा दिनकृत्, राजानोरविः, रक्त श्यामो भास्करो वर्णस्ताम्म्रः, देवता यह्निः, प्रागाथा ।। (वराहमिहिर)

अर्थ :- रविदृष्टि-शहद के समान लाल रंग-कड़ी धूप को देखो तो ऐसा ही प्रतीत होता है। यदि सूक्ष्मदृष्टि से धूप को देखें तो यह कुछ पीले लाल रंग की दिखती है। अतएव जिन मनुष्यों का रवि मुख्य होता है उनकी दृष्टि बहुत तीक्ष्णं होती है, आँखों के कोनों में लाल-लाल रेखाएँ अधिक होती हैं। शरीर चौकोर होता है । रवि रूखा और उष्णा है अतः पित्तप्रकृति होना स्वाभाविक है। अल्पकचः- शरीर पर केश बहुत कम होते हैं। स्त्री राशि में सूर्य हो तो केश नहीं होते । परन्तु पुरुष राशि में हो तो फेश होते हैं।


स्थान :- देवगृह-रबि तो पूर्णब्रह्म है अतः इसका निवास स्थान मन्दिर, वा देवगृह ही हो सकता है। रवि का धातु तांचा है किन्तु इसका धातु सुवर्ण उचित है।


ऋतु : ग्रीष्म । बलवत्ता :- रवि उत्तरायण में बलवान् होता है। आत्मा :कालपुरुष का आत्मा रवि है। राजा: रवि राजा है। रक्तश्याम : तांबे के समान कालिमा लिए हुए लाल रंग का है।

देवता-वह्नि: रवि की देवता अग्नि है। दिशा:-रवि पूर्वदिशा का स्वामी है।

वर्ण :- इसका वर्ण क्षत्रिय है। यह पुरुष ग्रह है। सत्वगुणी है।

तत्व :- रवि तेज तत्व है।

रवि पाप फल भी देता है अतः इसे रजोगुणी भी मानना होगा । रवि शौर्यप्रधान गृह है-इसके जातक ढीठ, निर्देयी भी होते हैं। और नेत्र रोगी भी होते हैं।

"पित्तास्थिसारोऽल्पकचश्वरक्त श्यामाकृतिः स्यात् मधुपिंगलाक्षः । कौसुम्बवासाः चतुरस्रदेहः ६२ः प्रचण्डः पृथुवाहुरकः ॥" मंत्रेश्वर

अर्थ :- रवि पित्तप्रधान है- यह अस्थियां से चलवान् है। इसके केश कम होते हैं। इसका रंग कालिमा लिए हुए लाल है-इसकी आंखें शहद के समान लाल रंग की है। इसके बस्त्र लाल रंग के हैं। इसका देह चौकोर है। रवि शूर, तीष्ण और क्रूर, है-इसकी भुजाएँ लंबी-मोटी हैं। ऐसा सूर्य का स्वरूप है।


"शुरोगमीरः चतुरः मुरूपः श्यामारुणः चाल्पक कुंतलश्च ।सुवृत्तगात्रः मधुर्पिगनेत्रः मित्रो हि पिप्तास्थ्यकिधो न तुंगः ।। ढुण्डिराज

अर्थ:सूर्य, शूर, गंभीर, चतुर, सुन्दर और थोड़े केशां वाला होता है। इसका वर्णं (रंग) कालिमा लिए हुए लाल है। इसका शरीर गोल है। इसके नेत्र शहद के समान पीले हैं। इसकी हड्डियों में शक्ति है- यह पित्तप्रधान है। संवप्रभाव का जातक साधारणतया ऊँचा होता है। किंतु बहुत ही ऊँचा नहीं होता है।

"सूयां नृपो वा चनुरस्रमध्यं दिनेन्द्रदृक् स्वर्ण चतुष्पदोऽग्रः । सत्वं स्थिरं तिक्त्तत्पश्शुश्चितिस्तु पिप्तं जरन् पारलमूलवन्यः || मानसागर

अर्थ :- सूर्य क्षत्रिय है-यह राजा है यह पुरुषग्रह है। यह चतुरस्र आकार का, मध्याह्न में चली, पूर्वदिशा का स्वामी, सुवर्ण द्रव्य का अधिप, चौपायों का स्वामी, उग्र, पाप, सत्वगुणी, स्थिर, तिक्तरसप्रिय, पशुओं की भूमि में रहनेवाला, पित्तप्रधानप्रकृति, वृद्धपारल (श्वेतरक्त मिला हुआ) वर्ण, मूल-धान्य आदि का स्वामी तथा वनप्वरा का स्वानी है।

"सूर्यः सपिप्तः तनुकायदेशः शश्यामशोणः चतुरस्रदेडः । शूरोऽस्थिसारः मधुपिंगलाक्षः पृथुः सुवर्णः दृढकायवान् च ॥ जयदेव

अर्थ :- सूर्य पित्तप्रधान है इसके शरीर के केश बहुत छोटे होते है। इसका रंग कालिमा लिए हुए लाल है। इसका देह चौकोर है। यह शुर है। इसकी बलवत्ता अस्थियों में है, इसकी आँखों का रंग शहद के समान पीला है। इसका शरीर दृढ़ और मजबूत है। यह स्थूल है।

“भानुः श्यामललोहितद्युतितनुः” । 'कालस्यात्मा भास्करः । दिनेशोराजा । 'भानुः श्यामलोहितः' । 'प्रकाशकौ शीतकरक्षपाकरौ' ।। 'रविः पृष्ठेनोदेति सर्वदा'

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