प्रस्तुत ज्योतिष पुस्तक सरल ज्योतिष-प्रवेश' का प्रकाशन एवं सम्पादन जिस ढंग से प्रकाशक ने किया है वह अति प्रशंसनीय एवं महानता का द्योतक है
सरल ज्योतिष प्रवेश - Jyotish Pravesh By Bhrigunath Mishra PDF
अपनी ओर से
प्रस्तुत ज्योतिष पुस्तक सरल ज्योतिष-प्रवेश' का प्रकाशन एवं सम्पादन जिस ढंग से प्रकाशक ने किया है वह अति प्रशंसनीय एवं महानता का द्योतक है । ज्योतिष की अब तक प्रकाशित पुस्तकों में किसी भी लेखक ने सुगम तरीके से ज्योतिष सिखाने का प्रयास नहीं किया है । इस कमी को मद्दे-नजर रखते हुए तथा ज्योतिष के अधिक प्रसार एवं सरलता के लिए इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा हुई । मेरे अग्रज श्री शिव कुमार मिश्र जी ने मुझे इस पुस्तक को लिखने में बडा उत्साहित किया । घर बैठे मात्र एक सप्ताह में इस पुस्तक को पढ्ने सें आप ज्योतिषी बन जायेंगे ।
पाठको से अनुरोध है कि अगर कोई त्रुटि पायें तो हमें अपना सुझाव अवश्य भेजें ।
ज्योतिषी
-- पं० भृगुनाथ मिश्रा
नक्षत्र
नक्षत्र २७ होते हैं, जिनके नाम इस प्रकार है--
१. अश्विनी २. भरणी ३. कृतिका
४. रोहिणी ५. मृगशिरा ६. आर्द्रा
७. पुनर्वसु ८. पुष्य ९. आश्लेषा
१०. मघा ११. पूर्वाफाल्गुनी १२. उत्तराफाल्गुनी
१३. हस्त १४. चित्रा १५. स्वाति
१६. विशाखा १७. अनुराधा १८. ज्येष्ठा
१९. मूला २०. पूर्वाषाढ़ा २१. उत्तराषाढ़ा
२२. श्रवण २३. धनिष्ठा २४. शतभिषा
२५. पूर्वाभाद्रपद २६. उत्तराभाद्रपद २७. रेवती
इसके बगल की पंक्ति में नक्षत्र का मान घटी तथा पल में दिया रहता है । उसके बगल की पंक्ति में उस नक्षत्र के मान घटी पल का घंटा मिनट में बदला। हुआ समय रहता है । उसके बगल की पंक्ति में योग दिया रहता है ।
योग
योगों की संख्या भी २७ है--
१. विषकम्भ १०. गण्ड १९. परिध
२. प्रीति ११. वृद्धि २०. शिव
३. आयुष्मान १२. धुव २१. सिद्ध
४. सौभाग्य १३. व्याघात २२. साध्य
५. शोभन १४. हर्षण २३. शुभ
६. अतिगण्ड १५. वज्र २४. शुक्ल
७. सुकर्म १६. सिद्धि २५. ब्रह्म
८. धृति १७. व्यतिपात २६. ऐन्द्र
९. शूल १८. वरीयान् २७. वैधृति
योग के बगल की पंक्ति में योग का मान घटी पल में दिया रहता है । उसके बगल की पंक्ति में उस घटी पल को घंटा मिनट में बदल कर लिखा रहता है। उसके बगल की पंक्ति में करण दिया रहता है ।