मंगलीक दोष कारण एवं निवारण पर बहुत कम साहित्य ज्योतिष जगत् में लिखा गया है। जबकि मंगलीक दोष का हौवा छोटे-छोटे ग्रामीण अंचल में तथा बड़े शहरों में भी देखने को मिलता है। विदेशों से भी अक्सर हिन्दू और गैर हिन्दू लोग भी हमसे आकर मंगलीक दोष निवारण के टोटके पूछते हैं। परिपक्व अवस्था में जब लड़के-लड़कियों की शादी नहीं होती तब यह चिन्ता और अधिक बढ़ जाती है। यह सच है कि सुखी विवाह का सुख सौभाग्यशाली को ही प्राप्त होता है।
हजरत ईसा मसीह की कुण्डली में मंगल आठवें था, इसलिए वे अविवाहित रहे। श्री अटल बिहारी वाजपेयी की कुण्डली के लग्न में शनि मंगल छठे होने से वे भी आजीवन कुंवारे रहे। सुश्री मायावती अविवाहित रहीं क्योंकि सप्तमस्थान में सूर्य सप्तमेश में शनि पापपीड़ित है। शनि मंगल की युति पंचम भाव में होने से सम्भवतः उन्हें अपना वारिस भी नहीं मिलेगा। श्रीमती इन्दिरा गांधी के लग्न में शनि, राहु के छठे में होने से वैधव्ययोग बना । श्रीमती सोनिया गांधी के लग्न में शनि, मंगल के छठे में होने से वैधव्ययोग बना । श्रीमती मेनका गांधी की कुण्डली में मंगल आठवें, सप्तमेश शनि पापपीड़ित होने से वैधव्ययोग बना। राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की कुण्डली में चौथे स्थान में शनि एवं प्रथम में राहु होने से दाम्पत्य जीवन विवादास्पद है। हमारे राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम की कुण्डली में भी चौथे स्थान में मंगल, सप्तमेश शनि छठे होने से उन्हें भी पत्नी का सुख नहीं है। ये सब ऐतिहासिक कुण्डलियां हैं, जिनका सार्वजनिक प्रकाशन उपलब्ध है। इन्हें ऐतिहासिक तथ्यों की पृष्ठभूमि एवं प्राचीन ग्रह स्थितियों के कारण झुठलाया नहीं जा सकता है। न ही इसे अन्धविश्वास की श्रेणी में खड़ा किया जा सकता। इस सच्चाई को हर हालत में स्वीकार किया जाना चाहिए कि कोई व्यक्ति कितना ही बड़ा क्यों न हो? चाहे साक्षात् ईश्वर भी क्यों न हो? ग्रहों के प्रकोप में, विधाता के विधान से बच नहीं सकता?
पर इसके साथ ही उपायों की सार्थकता से इन्कार नहीं किया जा सकता । उपाय करने पर शूल की पीड़ा सूई में बदल जाती है। कई बार पीड़ा गायब भी हो जाती है। ऐसे अनेक जीवन्त दृष्टान्त हमारे पास है। जिस पर अलग से पुस्तक लिखी जा सकती है। जिस प्रकार बीमार होने पर हम डॉक्टर के पास जाते हैं तथा बीमारी ठीक हो जाती है, हम स्वस्थ हो जाते हैं।
यद्यपि मौत से डॉक्टर नहीं बचा सकता। समय आने पर रोगी भी मरता है, डॉक्टर भी मरता है पर हम लोग चिकित्सा विज्ञान के शरण में ठीक होने के लिए जाते हैं। ठीक यही स्थिति ज्योतिष शास्त्र की है। शास्त्र ज्ञाता विद्वान् ज्योतिषी मनुष्य को भाग्य जनित विविध संकटों में निकालने में पूर्ण रूप में सक्षम व समर्थ होता है। तंत्र-मंत्र अपनी जगह निश्चित रूप से काम करते हैं पर अन्तिम निर्णय सर्वशक्तिमान, सर्वशक्तिसम्पन्न विधाता के हाथ में है।
अविवाह योग, विलम्ब विवाहयोग, बहुविवाह योग, वैधव्य योग का परिहार, घटविवाह के रूप में शास्त्रों में वर्णित है परन्तु घटविवाह पर कोई स्वतंत्र पुस्तक अभी तक देखने में नहीं आई। इसलिए इस विषय पर मेरी लेखनी चल पड़ी। मेरा विश्वास है कि 21वीं सहस्त्राब्दी धार्मिक जन चेतना की सहस्त्राब्दी है। ऐसे में यह पुस्तक दीपशिखा का कार्य करेगी।
विश्व-ज्योतिष दिवस पर यह पुस्तक ज्योतिष जिज्ञासुओं, मंत्र-तंत्र जिज्ञासुओं के लिए, श्रीमाली ब्राह्मणों एवं कर्मकाण्डी विद्वानों के लिए प्रस्तुत करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है। मंगल पर विस्तृत फलादेश 'भोजसंहिता' के 'मंगलखंड' में मिलेगा। इस पुस्तक में मंगल संबंधी सभी दोषों का निवारण घटविवाह के माध्यम से बताया गया है।
घटविवाह में प्रायश्चित हवन, लाजाहोम, राष्ट्रमृतहोम अनिवार्य है। घट विवाह की सम्पूर्ण शास्त्र सम्मत विधि कहीं उपलब्ध नहीं है। अनेक जिज्ञासु सज्जनों एवं विद्वानों के पत्र आते रहते हैं। प्रबुद्ध पाठकों की त्वरित मांग को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत पुस्तक का प्रकाशन किया गया है।
गृह स्थापना के मंत्र तो यत्र-तत्र सर्वत्र मिलते हैं पर प्रत्येक का - - ग्रह का विनियोग, ध्यान, आवाहन मंत्र, प्राण प्रतिष्ठा मंत्र, दिशा, तान्त्रिक मंत्र, नमस्कार मंत्र आपको केवल इस पुस्तक में ही मिलेंगे। इसी प्रकार से मातृका स्थापन पर वैदिक एवं पौराणिक दोनों मंत्र दिए गए हैं। विवाह विधि पूर्ण है। इस पुस्तक को हाथ में लेने के बाद इस कार्य हेतु दूसरी पुस्तक की सहायता नहीं रह पाएगी। यही इस पुस्तक का प्रयोजन है।
भोजराज द्विवेदी.