निवेदन
त्रिभिः पुत्रस्य पुत्रता ॥ क्षयाहे भूरिभोजनात् । गयायां पिण्डदानाच्च
'पुन्नामनरकात् त्रायते इति पुत्रः नरकसे जो प्राण (रक्षा) करता है, वही पुत्र है अर्थात् अपने पितरोंके लिये सद्गतिका प्रयास करनेवाला पुत्र कहलाता है। अपने शास्त्रों में औरस पुत्रकी बड़ी महिमा है। श्राद्ध, तर्पणादि करनेका मुख्य अधिकारी पुत्र ही है-
पिताकी जीवित अवस्थामें उनकी आज्ञाका पालन करना, मृत्युके अनन्तर क्षवाहतिथिमें सुन्दर भोजन कराना तथा गयामें पिण्डदान अर्थात् श्राद्ध करना - ये तीन मुख्य रूपसे पुत्रके कर्तव्य हैं।
गया श्राद्ध विधि - Gaya Shraddha Vidhi PDF
प्रत्येक मनुष्यपर मुख्य रूपसे तीन प्रकारके ऋण होते हैं - १ - देव ऋण, २- पितृ ऋण और ३- मनुष्य (ऋषि)- ऋण। तीनों प्रकारके ऋणसे मुक्त होनेकी विधि शास्त्रों में बतायी गयी है । पितृ ऋणसे मुक्त होनेके लिये गृहस्थ- जीवनमें संतानकी परम्परा आवश्यक है।
संतान होनेसे वंश परम्परा अक्षुण्ण होती है तथा होनेवाली संततिके द्वारा श्राद्ध, तर्पण आदि पितृकर्म सम्पन्न होनेसे पितृ ऋणसे मुक्ति मिलती है यह तो संतानप्राप्तिका आध्यात्मिक पक्ष है। दूसरा लौकिक पक्ष भी है । संसारमें गृहस्थ पुरुषको समस्त सुखोंके रहते हुए भी यदि पुत्रसुख नहीं है तो उसे संसारके समस्त सुखोंमें निःसारता प्रतीत होती है—'अपुत्रस्य गृहं शून्यम्' जिसे पुत्र नहीं उसका घर सूना होता है, अतः लोकदृष्टि और आध्यात्मिक दृष्टि- दोनों दृष्टियोंसे गृहस्थाश्रमको सुखी बनानेके लिये मनुष्यको सत्पुत्रकी प्राप्ति होनी चाहिये।
सामान्यतः विवाहोपरान्त नवदम्पतीको संतानकी प्राप्ति स्वाभाविक है, परंतु प्रारब्धवशात् कभी-कभी किसी व्यक्तिको ग्रहबाधाके कारण संतान नहीं होती तो पुत्रप्राप्तिके लिये वह व्यक्ति औषधि उपचारके साथ देवाराधन-अनुष्ठान तथा हरिवंशपुराणके श्रवण आदिका सहारा लेता है, यद्यपि प्रबल प्रारब्धको मिटाने में कठिनाई होती है, परंतु अधिकतर लोगोंको सफलता मिलती है।
अपने शास्त्र संतानप्राप्तिके लिये मंत्रानुष्ठानकी विधि बताते हैं, इन्हें सावधानीपूर्वक करनेसे सफलता प्राप्त होती है। संतान प्राप्तिकी कुछ शास्त्रोक्त विधियाँ यहाँ प्रस्तुत की जा रही हैं तथा सनत्कुमारसंहिताके आधारपर संतानगोपालके मंत्रका जप, उसकी विधि तथा स्तोत्रपाठ प्रस्तुत है। इसके साथ ही कुछ दूसरे मंत्र तथा अन्य उपाय भी उपलब्ध हैं, जिन्हें यहाँ प्रस्तुत किया गया है, साथ ही षष्ठीदेवीकी कथा, उनकी पूजाविधि तथा स्तोत्र भी दिया गया है। साधक अपनी रुचिके अनुसार इनका अनुष्ठान कर सकते हैं।
- राधेश्याम खेमका
Download Free Cracked Apps and Codes