श्री गणेशाय नमः
आचार्य पण्डित - पं. रामलक्षण पाण्डेय-संस्कृतं
सप्रयोग-महाविद्यास्तोत्रम्
भाषाटीकासहितम्
महाविद्यां प्रवक्ष्यामि महादेवेन निर्मिताम् ।
उत्तमां सर्वविद्यानां सर्वभूतषशङ्करीम् ।। संकल्पः- ॐ तत्सदयात्रमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरे। अमुकगोत्रः अमुकशमाऽहं मम (अथवाऽमुकयजमानस्य) गृहे उत्पन्न- भूत-प्रेत-पिशाचादि-सकलदोष- शमनार्थं झटित्यारोग्यताप्राप्त्यर्थं च महाविद्यास्तोत्रस्य पाठं करिष्ये ।
विनियोगः- ॐ अस्य श्रीमहाविद्यास्तोत्रमन्त्रस्याऽर्यमा ऋषिः, कालिका देवता, गायत्री छन्दः, श्रीसदाशिवदेवताप्रीत्यर्थे मनोवाञ्छितसिद्ध्यर्थे च जपे (पाठे ) विनियोगः ।
भगवान् शंकर द्वारा निर्मित उस महाविद्या को मैं कहता हूँ, जो सब विद्याओं में श्रेष्ठ तथा सब जीवों को वश में करने वाली हैं। पाठकर्त्ता दाहिने हाथ में पुष्प, अक्षत, जल लेकर ॐ तत्सदद्याऽमुकमासे०' से 'पाटं करिष्ये' तक पढ़कर पाठ का संकल्प करे।
ध्यानम्
उद्यच्छीतांशु-रश्मि-युतिचय-सदृशीं फुल्लपद्मोपविष्टां
वीणा - नागेन्द्र शंखाऽऽयुध-परशुधरां दोर्भिरीड्यैश्चतुर्भिः मुक्ताहारांशु नाना-मणियुत-हृदयां सीधुपानं वहन्तीं
वन्देऽभीऽयां भवानीं प्रहसितवदनां साधकेष्टप्रदात्रीम् ।। पश्चात् ॐ अस्य श्रीमहाविद्यास्तोत्रमन्त्रस्य० से 'विनियोगः'
तक पढ़कर भूमि पर जल छोड़ दे। उसके बाद 'इच्छीतांशु०' से 'रााधकेष्टप्रदात्रीम्' तक श्लोक पढ़कर महाविद्या का ध्यान कर ॐ कुलकरी गोत्रक०' से आरमा का भौतशान्तिर्विशेषत तक स्तोत्र का पाठ करे।