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सूर्य सिद्धान्त हिन्दी अनुवाद सहित - Surya Siddhanta PDF

सूर्य सिद्धान्त हिन्दी अनुवाद सहित - Surya Siddhanta PDF

by महावीर प्रसाद श्रीवास्तव
(0 Reviews) August 25, 2023
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August 25, 2023
Writer/Publiser
महावीर प्रसाद श्रीवास्तव
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Astrology
Language
Hindi
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सूर्य सिद्धान्त हिन्दी अनुवाद सहित महावीर प्रसाद श्रीवास्तव

सूर्य सिद्धान्त हिन्दी अनुवाद सहित - Surya Siddhanta PDF

ज्योतिषशास्त्र वेद का प्रधान अंग है क्योंकि इसी से यज्ञों का समय निश्चित किया जाता है । इसलिए प्राचीन काल में भारतवर्ष में ज्योतिषशास्त्र का अध्ययन- अध्यापन पुण्यकार्ये समझा जाता था ।

इसका दूसरा नाम कालविधानशास्त्र अथवा कालज्ञान भी है। कश्यप संहिता के अनुसार ज्योतिषशास्त्र के प्रवर्तक १८ आचाय थे जिनके नाम यह हैं :--- 


१--नसूर्ये, २--पितामह, ३--व्यास, ४--वसिष्ठ, ५--अत्रि, ६--पराशर, ७---कश्यप, ८--नारद, &->गर्गं, १०--मरीचि, ११--मतु, १२--अंगिरा, १३--लोमश, १४--पौलिष, १५--च्यवन, १६--यवन, १७--भुगु और १८ शौनक

यहाँ जो १८ नाम गिनाये गये हैं उन सब के सिद्धान्त-ग्रन्थों का पता नहीं है । इनमें कई संहिता और सिद्धान्त दोनों के कर्ता हैं, कोई दोनों में केवल एक ही विषय के हैं, किसी के नास का ग्रन्थ दोनों विषयों पर भी नहीं उपलब्ध है । 

जिन प्राचीन सिद्धान्तों की चर्चा वराहमिहिर के समय से अब तक होती आयी है वे हैं १--पौलिश, २--रोमक, ३--वासिष्ठ, ४--सोर,और ५-- पैतामह सिद्धान्त, जिनका संग्रह वराहमिहिर ने (५४० ई० के लगभग) अपनी पंच-सिद्धांतिका नामक पुस्तक में किया है जिसमें यह भी बतलाया है कि पौलिश सिद्धान्त स्पष्ट है, 

उसी के निकट रोमक-सिद्धान्त है, परन्तु सबसे स्पष्ट सूर्य-सिद्धान्त है, शेष दो बहुत भ्रष्ट है। पंचसिद्धान्तिका-प्रकाशिका टीका  पर म० म० सुधाकर द्विवेदी जी सूर्यारुण-संवाद का अवतरण देकर कहते हैं कि गर्गादि मुनियों का जो ज्ञान पुलिश महषि ने कहा वह पोलिश सिद्धान्त, ब्रह्मशाप के कारण रोमक नगर में उत्पन्न होकर, सूये भगवान ने जो ज्ञान रोमक के यवन जाति को बतलाया वह रोमक सिद्धान्त, जिसे वसिष्ट ने अपने पुत्र पराशर को दिया वह वसिष्ट सिद्धान्त, जिसे सूर्य ने मय दैत्य को दिया वह सौर-सिद्धान्त और जिसे ब्रह्मा ने अपने पुत्र वसिष्ठ को दिया वह पैतामह-सिद्धान्त है |

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